maa agar ishwar ka roop hai aur bhakti prem swaroop hai



हम जिनसे प्यार करते हैं, दुनिया की सारी खुशियां उनके क़दमों में रखने का ख्वाब भी सजाते हैं| माँ को हम सबसे ऊँचा दर्जा देते हैं क्यूंकि उसने हमें जनम दिया फिर क्यों लोग हर वक़्त भक्ति पे प्रश्न उठाते हैं जबकि उस ईश्वर ने तो इस प्रकृति को जनम दिया, हमारी माँ को बनाया, हम सब को बनाया,जब हम कोई ईश्वर से जुड़ा त्यौहार मानते हैं, या कोई भव्य मंदिर बनवाते हैं, अपने ईश्वर की बेज़्ज़ती करने वाले के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, अपने ईश्वर की मूर्ति को एक बच्चे की तरह प्रेम जताते हैं, अपना विश्वास और आस्था उस ईश्वर में दिखते हैं, कुछ दान कर आते हैं, अपना धर्म निभाते हैं और अपने ही धर्म की बात करते हैं किसी दुसरे को नीचे नहीं दिखते हैं बस अपने सनातन की मस्ती में डूब जाते हैं| क्यों लोग हमको अंधविश्वासी बुलाते हैं?
क्यों हमारे ही धर्म पे प्रश्न उठाते हैं ?
क्यों हमारे धर्म को प्रपंच में घेर लाते हैं?
क्यों हर त्यौहार पे फालतूबाज़ी बताते हैं ?
क्यों भगवा को मार आते हैं ?
क्यों हमारे मंदिरों पे प्रश्न उठाते हैं ?
क्यों मूर्ति पूजा में नुक्स निकलते हैं ?
क्यों जब हम आपने धर्म की बोलें तो अपना धर्म को घुसा ऊंच नीच बीच में लाते है ?
क्यों हमारे धर्म को मिथ्या बताते हैं ?
क्यों बस हमसे ही सब धर्म एक सामान का आडम्बर रचते हैं मगर पीछे से अपने धर्म के लिए खुले आम मौत का फरमान सड़कों पर लहराते हैं और इंसान हो के इंसान को मरवाते हैं ?
बस इतना बता दो अपनी माँ के लिए खरीदी साडी किसने गरीब को दान दी है?
अपने प्यार के लिए खरीदी अंगूठी बेच कर किस गरीब की मदद की है ?
किसने अपनी बहिन के लिए मंगाये पिज़्ज़ा को गरीब बच्चों में बांटा है ?
कोन नहीं अपने माँ बाप को महंगी गाडी में घूमने के सपने सजाता है?
क्यों हमेशा हिन्दुओं के दान धरम में गरीबी का मंज़र घुसाया जाता है ? क्यों नहीं हर धर्म साल भर दान के सपने सच करता है मगर हमारे ही त्यौहार में ही दान धरम सबको याद आता है ? कौन अपनी माँ के बारे में गलत सुन कर भी चुप रह जाता है, कोन बहिन की बेज़्ज़ती सेह जाता है, कोण अपने प्यार की भद्दी तस्वीरें देख कर भी छोड़ो हमें क्या हम तो इन जैसे नहीं हैं ये ज्ञान बताता है ?
एक बात ये बता दो जो कहते हैं हम उन जैसे बन क्यों बनें हम उनको क्यों जवाब दें या क्यों बहस करैं हम ये नहीं कहते लड़ो मार आओ मगर काम से काम इतना तो बोलो जब हम तुमको गलत सही नहीं बता रहे तुम्हारे धर्म के गलत तुमको नहीं दिखा रहे तो तुम भी हमारे धर्म को हमपे ही छोड़ जाओ ना तुम कुछ कहो ना कहानी बताओ इतना तो करना गलत नहीं है अपने सत्य पर चलो समझदारी यही है सबको इंसान समझो सबसे बड़ा धर्म यही है कोई अज्ञानता से डूब रहा है तो उसको छोड़ो हमको क्या बोल के आगे बढ़ना सही नहीं है बल्कि अपने सत्य को जाग्रत करना उसको सही मार्ग बताना ही सही है समझे तो ठीक नहीं तो राधे राधे ही सही है|

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